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Thursday, September 22, 2011

Daily Devotion Book, ONE DAY AT A TIME, in Hindi

प्रोजेक्ट एज्रा की ओर से हिन्दीभाषी मसीही जगत के लिए एक और प्रस्तुति 


William MacDonald
(A Daily Devotion Book Written by William MacDonald)
(दैनिक मनन के लिए विलियम मैकडोनाल्ड के द्वारा लिखित) 



दिन भर के लिए सामर्थ 
ONE DAY AT A TIME
(Daily Devotion Written by William MacDonald)




व्यक्तिगत मनन के लिए एक अत्यंत उपयोगी पुस्तक 

बाइबल के ३६६ महत्वपूर्ण पदों का चयन कर प्रत्येक पद पर मनन हेतु एक संक्षिप्त प्रेरणादायक सन्देश तैयार किया गया है! 
पुस्तक के लेख उपदेश तैयार करने के दृष्टिकोण से भी अत्यंत सहायक है! 
अधिकांश लेखों में एक या एक से अधिक प्रेरक और रोचक उदाहरण दिए गए हैं! 
हर वर्ष कही भी और कभी भी उपयोग में लाने योग्य!  

(लेखों के कुछ नमूने दिए जा रहे हैं)




(१)


"यह महीना तुम लोगों के लिए आरंभ का ठहरे; अर्थात वर्ष का पहिला महीना यही ठहरे|"
निर्गमन १२:२


    नए साल में लिए गए संकल्प अच्छे तो होते है परन्तु उतने ही नाज़ुक भी, अर्थात, वे बहुत जल्दी टूट जाते हैं | नए साल में की जाने वाली प्रार्थनाये बेहतर होती है| वे परमेश्वर के सिहांसन तक जातीं हैं और उत्तर देने वाले पहिये को गतिशील बनाती हैं|
  
  जब कि हम एक नए साल की शुरुवात कर रहे हैं, तो हमारे लिए यह उचित होगा कि हम निम्नलिखित प्रार्थना विनतियों को अपनी प्रार्थना विनतियाँ बनाएं:
    
    हे प्रभु आज मैं अपने आप को नए सिरे से आपके चरणों में समर्पित करता/करती हूँ| मैं चाहता/ चाहती हूँ कि इस नयें वर्ष में, आप मेरे जीवन को लें और अपनी महिमा के लिए इस्तेमाल करें| "प्रभु मेरा जीवन ले, तेरा हो यह अभी से| "
    
    हे प्रभु, मैं प्रार्थना करता हूँ/करती हूँ कि आप मुझे पाप से और प्रत्येक उस बात से बचा कर रखें जिससे आप के नाम का अनादर होगा|

    मेरी सहायता कीजिये कि मैं सदैव पवित्र आत्मा के द्वारा सीखनेवाला/सीखनेवाली बनी रहूँ| मैं आपके लिए आगे बढना चाहता/चाहती हूँ| मेरी सहायता कीजिये कि मैं संसार की मौज मस्ती में संतुष्ट होकर रुक न जाऊं|

    "वह बढे मैं घटू" - यही इस वर्ष का मेरा आदर्श वाक्य बनें| सारी महिमा आपकी ही होवे| मेरी सहायता कीजिये कि मैं उस महिमा को लूटने का प्रयास न करूँ, यहाँ तक कि उसे छूने की कोशिश भी न करूँ|
    
    मुझें सिखाएं कि मेरे प्रत्येक निर्णय, मेरी प्रार्थना के विषय बनें ताकि मैं बिना प्रार्थना के कोई भी निर्णय न लूँ| अपनी समझ का सहारा लेने के विचार से भी मुझे डर है| "हे यहोवा मैं जान गया हूँ कि मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है, मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके आधीन नहीं हैं" (यिर्मयाह १०:२३)|
    
    मैं इस संसार के लिए मर जाऊं, और अपने प्रियजनों और मित्रों को खुश करने या उनके द्वारा निंदा किये जाने से बचने को प्राथमिकता न दूँ| मुझे निष्कपट और पवित्र इच्छा दीजिये ताकि मैं उन बातों को करूँ जिनसे सिर्फ आप का हृदय आनंदित होवे|
    
    मुझे कानाफूसी करने और दूसरों की आलोचनाये करने से बच कर रखिये| बल्कि लाभदायक और उन्नति की बातें करने में मेरी सहायता कीजिये| 
  
    जरूरतमंद आत्माओं की ओरमेरी अगुवाई कीजिये| मैं भी आप के समान पापियों का/की मित्र बन सकूँ| हे प्रभु, नाश  होनेवालों के लिए मुझे दया के आसूं प्रदान कीजिये| 

"जैसे मेरे उद्धारकर्ता ने भीड़ को तरस से देखा, वैसे मैं भी देखूं,
जब तक मेरी आँखें आंसुओं से नम न हो जाये, 
भटकती भेड़ों को दया से देखूं, 
और प्रभु के प्रेम के खातिर उनसे प्रेम रखूँ|"

    हे प्रभु यीशु, मसीही जीवन में मेरे साथ चाहे जो भी हो जय मुझे निरुत्साही, दुखी और दोषदर्शी बनने से बचाए रखिये| 

    पैसों का/की एक अच्छा भंडारी होने में मेरी सहायता कीजिये| जो कुछ आप ने मुझे सुपुर्द किया है उन सभी का अच्छा भंडारी बनने में मेरी सहायता कीजिये|

    हर पल इस बात को स्मरण रखने में मेरी सहायता कीजिये कि मेरी देह पवित्र आत्मा का मंदिर है| यह महान सत्य मेरे संपूर्ण व्यव्हार को प्रभावित करने पाए|

    मेरी यह प्रार्थना है, प्रभु यीशु, कि यह वर्ष आपके पुनरागमन का वर्ष हो| मैं आपके मुख को देखना और भक्ति सहित आपको प्रणाम करना चाहता/चाहती हूँ| इस पूरे वर्ष भर में यह धन्य आशा मेरे हृदय में तरोताजा बनी रहे, और यह आशा मुझे हर उस बात से मुक्त करे जो मुझे इस संसार में पकड़कर रखती है| आपकी प्रतीक्षा में मैं उत्सुक और उत्तेजित रहूँ| "हे प्रभु यीशु, आ!"
   



                                                                           (2)
"मोआब  बचपन से ही सुखी है, वह एक बर्तन से दूसरे बर्तन में उंडेला नहीं गया और न बन्धुआई में गया; इसलिए उसका स्वाद उसमें स्थिर है, और उसकी गंध ज्यों की त्यों बनी रहती है |"
यिर्मयाह ४८:११ 


    यिर्मयाह यहाँ पर दाखमधु  बनाने की प्रक्रिया का उदाहरण देते हुए हमें यह शिक्षा दे रहा है कि एक आरामदायक जीवन एक शक्तिशाली जीवन का निर्माण नहीं कर सकता|

   दाखमधु बनाने के लिए अंगूर को पीपे या कुण्ड में सड़ाया जाता है, तब तलछट या खादा नीचे बैठ जाता है| यदि दाखमधु को बिना हिलाए डुलाये वैसे ही छोड़ दिया जाए तो वह अरुचिकर बन जाता है| इसलिए यह आवश्यक है कि दाखमधु का व्यापारी दाखमधु को एक पात्र से दूसरे पात्र में उंडेलता रहे, ताकि खादा या अशुद्धता को दूर किया जा सके| जब ऐसा किया जाता है, तो दाखमधु की शक्ति, रंग, खुशबू, और उसका स्वाद विकसित होने लगता है|       

    मोआब ने एक आरामदायक जीवन व्यतीत किया था| मोआब को कभी भी बन्धुआई में जाना नहीं पड़ा था इसलिए वह अपने स्थान से कभी हिला डुला नहीं था| अपने आप को संकट, परीक्षाओं, और तंगी से सुरक्षित रखने के लिए उसने अपने चारों ओर सुरक्षा का बाड़ा बना रखा था| इसके परिणामस्वरूप उसका जीवन सपाट और फीका हो गया था| इसमें सुगंध और मजा नहीं था| 

    दाखमधु के सामान हमारा जीवन भी होता है| हमें अपने जीवन की अशुद्धताओं को दूर करने के लिए और मसीह से परिपूर्ण जीवन की मनोहरता को विकसित करने के लिए हिलाए डुलाये जाने की, तथा विरोध, कठिनाई, और विघ्न झेलने की आवश्यकता है| 

    हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि हम अपने आप को किसी भी ऐसी चीज से बचायें रखते हैं जो हमारे सांसारिक सुखों को अस्थिर कर सकती है| हम एड़ी चोटी का जोर लगातें हैं कि हमारा जीवन सुख से बस जाये| परन्तु हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा यह है कि हमारे जीवनों में आने वाले संकटों से निकलने के लिए प्रभु के प्रति एक सतत निर्भरता बनी रहनी चाहिए| वह हमारे घोसलें को उजाड़ते रहता है| 

    हडसन टेलर की जीवनी में, श्रीमती हॉवर्ड टेलर ने लिखा है: " यह जीवन जिसे इसलिए बनाया गया है कि यह संसार भर के लिए आशीष का कारण बने उसे एक बहुत ही अलग प्रक्रिया से गुजरना आवश्यक है (अर्थात, तलछट बैठ जाने से अलग), जिसमें एक पात्र से दूसरे पात्र में उंडेला जाना शामिल है, यह नीचे बैठ चुके स्वाभाव के लिए अत्यंत पीड़ादायक होता है, और हमारे इसी स्वभाव से हमें शुद्ध किया जाता है|"  

    जब हम यह समझ जातें हैं कि दाखमधु के व्यापारी के सामान ही परमेश्वर हमारे जीवन में काम कर रहा है, तो इससे हम विद्रोही बनने से बच जातें हैं और यह हमें समर्पित और निर्भर रहना सिखाता है| हम यह कहना सीख जाते है कि: 
उसके सर्वसत्ताक नियंत्रण में सब कुछ समर्पित कर दें 
उसकी पसंद और उसकी आज्ञाओं को स्वीकार कर लें 
ताकि हम उसके मार्गो पर विस्मित हों जाएं और जान लें 
वह कितना बुद्धिमान है और उसका हाथ कितना शक्तिशाली है|

मेरे विचारों से बहुत ऊपर 
उसका परामर्श मुझ तक पहुँचता है 
उस काम को उसने पूरा किया 
जो व्यर्थ ही भय का कारण था! 

   (3)

"अब विश्वास आशा की गई वस्तुओं का निश्चय और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है| "
इब्रानियों ११:१ 

     विश्वास परमेश्वर के वचन पर निर्विवाद भरोसा है| यह परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर भरोसा है| यह एक निश्चय है कि परमेश्वर जो कुछ कहता है वह सत्य है और वह जो प्रतिज्ञा करता है वह अवश्य पूरी होती है| यह प्राथमिक रूप से भविष्यकाल ("आशा की गई वस्तुओं") से सम्बन्ध रखता है, और यह काल अदृश्य होता है (अनदेखी वस्तुओं)|

     वयटयर का कहना है कि, "विश्वास के कदम शून्य (आधारहीन) प्रतीत होने वाले स्थान पर पड़ते हैं, परन्तु वास्तव में इस स्थान के नीचे ठोस चट्टान होती है|"  परन्तु ऐसा नहीं है! विश्वास का अर्थ अंधकार में जोखिम भरे कदम बढाना नहीं है| यह सबसे निश्चित प्रमाण की बात करता है , और यह प्रमाण परमेश्वर के वचन में पाया जाता है|

     कुछ लोंगों की ऐसी गलत धारणा है कि यदि हम किसी चीज के लिए पर्याप्त दृढ़ता से विश्वास करेंगे तो यह हमारे लिए हो जायेगा| परन्तु यह भोलापन है, विश्वास नहीं| विश्वास के लिए परमेश्वर की ओर से कुछ प्रकाशन होना आवश्यक है जिस पर हम भरोसा रख सकें, और परमेश्वर की कोई प्रतिज्ञा आवश्यक है जिसे हम थामे रहें| यदि परमेश्वर कोई प्रतिज्ञा करता है, तो उसका पूरा होना निश्चित है| दूसरे शब्दों में, विश्वास भविष्यकाल को वर्तमान के दायरे में ले आता है और अदृश्य को दृश्य बना देता है| 

    परमेश्वर पर विश्वास करने के लिए कोई जोखिम नहीं उठाना पड़ता| परमेश्वर झूठ नहीं बोल सकता| वह धोखा नहीं दे सकता, और उसे धोखा नहीं दिया जा सकता| परमेश्वर पर विश्वास करना सबसे बुद्धिसंगत, सबसे समझदारीभरा, और सबसे तर्कसंगत काम है जो एक मनुष्य कर सकता है| इस बात से अधिक तर्कसंगत बात और क्या हो सकती है कि एक सृष्टि अपने सृष्टिकर्ता पर विश्वास करे? 

     विश्वास संभव बातों तक सीमित  नहीं है परन्तु यह असंभव बातों पर प्रबल होता है| किसी ने कहा है, "विश्वास वहां से आरम्भ होता है जहाँ संभावनाएँ समाप्त हो जाती हैं| यदि कोई बात संभव हो तो इसमें परमेश्वर की महिमा की कोई बात नहीं है| यदि यह असंभव है तो यह संभव हो सकती है |"

    विश्वास प्रतिज्ञाओं को देखता है और सिर्फ परमेश्वर की ओर देखता है; असंभव बातों पर हँसता है | और चिल्ला उठता है 'यह हो जायेगा'

    यह मानना भी आवश्यक है कि विश्वास के जीवन में कठिनाइयाँ और समस्याएं भी आती हैं| परमेश्वर परीक्षाओं और कष्ट की धरिया में हमारे विश्वास को परखता है कि देखे कि यह सच्चा है या नहीं (१ पतरस १:७)| हमें प्रायः उसकी प्रतिज्ञाओं को पूरा होते देखने के लिए काफी प्रतीक्षा करनी पड़ती है, और कुछ प्रतिज्ञाओं के लिए हमें तब तक प्रतीक्षा करना पड़ेगा जब तक हम उस पार न पहुँच जाएँ| किन्तु, "कठिनाइयाँ वह भोजन है जो विश्वास का पोषण करता है" (जार्ज मूलर)|

    "विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है " (इब्रानियों ११:६)| जब हम उस पर विश्वास करने से मना कर देते हैं, तो हम उसे झूठा ठहराते हैं (१ यूहन्ना ५:१०), और परमेश्वर ऐसे लोगों से प्रसन्न कैसे हो सकता है जो उसे झूठा ठहराते हैं?


(4) 



"देख मैं द्वार पर खड़ा खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके साथ भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ|"


    हम एक और वर्ष की समाप्ति पर पहुंच गए हैं, और अभी भी हमारा उद्धारकर्ता धीरज धरे हुए मनुष्य के हृदय के द्वार पर खड़े होकर भीतर आने के लिए खटखटा रहा है| उसे काफी समय से बाहर रखा गया है| यदि कोई दूसरा होता तो अब तक धीरज त्याग कर वापस चला गया होता| परन्तु हमारा उद्धारकर्ता ऐसा नहीं कर रहा है| वह बहुत धीरजवंत है| और वह नहीं चाहता कि कोई भी नाश हो| वह इसी आशा के साथ ठहरा हुआ है कि एक दिन द्वार खुलेगा और उन्हें भीतर बुलाया जायेगा| 

    यह बेतुकी बात है कि प्रभु यीशु के खटखटाने पर कोई उत्तर न दे| यदि हमारा पडोसी हमारा दरवाजा खटखटाता है, तो हम तुरंत द्वार खोल देते हैं| यदि कोई सेल्समेन दरवाजा खटखटाता है, तो हम शिष्टाचार निभाते हुए दरवाजा  खोलते है और उससे कह देते है कि उसके द्वारा बेची जा रही वस्तु की हमें आवश्यकता नहीं है| यदि हमारे दरवाजे पर राज्यपाल या राष्ट्रपति दस्तक दे, तो निश्चय ही परिवार के सदस्य एक दूसरे से पहले पहुंच कर उनका स्वागत करने का सौभाग्य प्राप्त करने का प्रयास करेंगे| परन्तु यह बहुत ही विचित्र बात है कि जब सृष्टिकर्ता, पालनहार, और उद्धारकर्ता द्वार पर खड़े होकर खटखटाता है, तो उसके साथ रुखा व्यव्हार किया जाता है|  

    मनुष्य का इंकार और भी असंगत हो जाता है जब हम इस बात पर विचार करते है कि प्रभु यीशु हमसे कुछ लूटने नहीं, परन्तु हमें देने के लिए आया| वह हमें भरपूरी का जीवन देने के लिए आया है| 

    एक बार एक रेडियो प्रचारक के पास देर रात एक श्रोता का फ़ोन आया जो कुछ देर के लिए उनसे मुलाकात करना चाहता था| प्रचारक ने उसे टालने का हर संभव प्रयास किया परन्तु अंत में उन्हें मुलाकात करने के लिए राजी  होना पड़ा| जब दोनों मिले, तब इस अतिथि ने भेंट के रूप में बहुत बड़ी रकम इस प्रचारक को दी जिसे वे रेडियो सेवकाई के लिए उपयोग कर सकें| उसके जाने के बाद प्रचारक ने कहा, "मुझे ख़ुशी है कि मैंने उसे आने दिया|"

    जोई ब्लिंको एक दृश्य के बारे में बताया करते थे जिसमें एक घर के बैठक में परिवार के सदस्य आपस में बातचीत कर रहे है| अचानक सामने वाले दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी| परिवार के एक सदस्य ने कहा, "दरवाजे के बाहर कोई है|"

    दूसरा सदस्य उछल कर उठा, और जाकर उसने दरवाजा खोला| तब बैठक से किसी ने पूछा, "कौन है?" दरवाजा खोलने वाले ने बता दिया| अंत में परिवार के मुखिया ने जोर से कहा, "उसे भीतर बुलाओ|"

    सुसमाचार भी ऐसा ही है| उसकी सुनें| द्वार पर कोई खड़ा है| वह कौन है? वह तो जीवन और महिमा के प्रभु स्वयं हैं, जिसने हमारे बदले अपनी जान  दे दी और तीसरे दिन फिर से जी उठा - वह जो महिमा के सिहांसन पर बैठा है और अपने लोगों को अपने साथ ले जाने के लिए फिर से आने वाला है| उसे  भीतर बुलाइए| 


अपनी प्रति हेतु निम्नलिखित पते पर संपर्क करें:-
Atulya Prashant Masih 
Coordinator - Project Ezra 
C / O Nishant Sidh 
Near Khan Nursing Home 
Stadium Road, Rajnandgaon 
Chhattisgarh 491441 
Contact : 07744224720, 9301726085, 07744224713, 9406330075.
Email : projectezra@rediffmail.com. 
   

  
     

    

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